भारत अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक स्थापित करने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले केवल रूस, अमेरिका और चीन ही ऐसा करने में सफल रहे हैं। इसरो ने कहा कि डॉकिंग प्रयोग 16 जनवरी की सुबह पूरा हो गया।
चंद्रयान-4, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे मिशन इस मिशन की सफलता पर निर्भर थे। चंद्रयान-4 मिशन चंद्रमा की मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाएगा। अतः गगनयान मिशन में मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
इसरो ने 30 दिसंबर को सुबह 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट मिशन लॉन्च किया। इसके तहत पीएसएलवी-सी60 रॉकेट का उपयोग कर दो अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 470 किमी ऊपर तैनात किये गये।
इस भारत अंतरिक्षभारत अंतरिक्ष मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यान को 7 जनवरी 2025 को जोड़ा जाना था, लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया। इसके बाद 9 जनवरी को डॉकिंग का प्रयास किया गया, लेकिन अंतरिक्ष यान को 3 मीटर के भीतर लाने के बाद तकनीकी समस्याओं के कारण डॉकिंग पूरी नहीं हो सकी।
स्पैडेक्स मिशन प्रक्रिया: जानें कैसे दो अंतरिक्ष यान एक दूसरे के करीब आए
30 दिसंबर को दो छोटे अंतरिक्ष यान, टार्गेट और चेज़र, पीएसएलवी-सी60 रॉकेट द्वारा 470 किमी की ऊंचाई पर अलग-अलग कक्षाओं में प्रक्षेपित किये गए।
तैनाती के बाद दोनों अंतरिक्ष यान की गति लगभग 28,800 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गयी। यह गति गोली की गति से 10 गुना अधिक थी।
दोनों अंतरिक्ष यान के बीच कोई सीधा संचार संपर्क नहीं था। उन्हें ज़मीन से मार्गदर्शन दिया गया। दोनों अंतरिक्ष यान एक दूसरे के करीब लाये गये।
दूरी को 5 किमी से घटाकर 0.25 किमी करने के लिए लेजर रेंज फाइंडर का उपयोग किया गया। डॉकिंग कैमरा का उपयोग 300 मीटर से 1 मीटर की रेंज के लिए किया गया। जबकि 1 मीटर से 0 मीटर की दूरी पर दृश्य कैमरों का उपयोग किया गया।
सफल डॉकिंग के बाद, दोनों अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत शक्ति हस्तांतरण का प्रदर्शन अब आने वाले दिनों में किया जाएगा। इसके बाद अंतरिक्ष यान डॉक से अलग हो जाएगा और दोनों अपने-अपने पेलोड का संचालन शुरू कर देंगे। इससे लगभग दो वर्षों के लिए मूल्यवान डेटा उपलब्ध होगा।
इस डॉकिंग तंत्र को ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ नाम दिया गया है। इसरो ने इस डॉकिंग प्रणाली का पेटेंट भी करा लिया है। भारत को अपना स्वयं का डॉकिंग तंत्र विकसित करना पड़ा, क्योंकि कोई भी अंतरिक्ष एजेंसी इस अत्यधिक जटिल प्रक्रिया का विवरण साझा नहीं करती।
मिशन ने प्रयोगों के लिए 24 पेलोड भी भेजे।
यह भारत अंतरिक्ष मिशन सूक्ष्मगुरुत्व में प्रयोगों के लिए 24 पेलोड भी ले गया। ये पेलोड पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण में थे, जिसे पीओईएम (पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरीमेंटल मॉड्यूल) के नाम से जाना जाता है। 14 पेलोड इसरो से हैं और 10 पेलोड गैर-सरकारी संगठनों (एनजीई) से हैं।
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